November 2, 2008

आंखों ही आंखों में यूँ !

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कितनी बातें है जो, कह न पाये उनको,
हम तो न थे इस तरह.
आंखों ही आंखों में
आंखों ही आंखों में यूँ
खोये रहे

बस तुमको देखे देखते ही रहे
रुक जाए लम्हे सभी जाते हुए
क्या तुमसे कह दे और क्या न कहे
तुम ही समझ लो सभी ए काश के
बस ये एक तम्मना है दिल जो अपना है
उसको मिल जाओ तुम
अब न ख्यालों में न सवालों में
बाहों में आओ तुम
आंखों ही आंखों में
आंखों ही आंखों में यूँ
खोये रहे

चाँद सितारे सारे बेनूर थे
तुमसे मिले तो सभी रोशन हुए
ये सब नजारे फिर मिले न मिले
एक दो कदम ही सही मिल कर चले
कल किसने देखा है क्या भरोसा है
रह न जाए गिलेयेही इफ्तेदा भी है इन्तेहा haii है
है मुहब्बत भी ये
आंखों ही आंखों में यूँ
आंखों ही आंखों में यूँ
खोये रहे,खोये रहे

2 comments:

Hemanth Potluri said...

good but not understood the complte thing :)..

urs..hemu..

Aparna said...

hehehe, well hem i'll email it you later.

cheers aparna

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